गेहूं की फसल में यूरिया, पोटाश और जिंक: कब और कितनी मात्रा में करें प्रयोग?
गेहूं की फसल में शानदार पैदावार लेने के लिए यूरिया, पोटाश और जिंक जैसे तीन प्रमुख पोषक तत्वों का सही इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है। कृषि विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि यदि इन तत्वों को गलत समय पर या जरूरत से ज्यादा मात्रा में डाल दिया जाए, तो यह फायदे की जगह जबरदस्त घाटा कर सकता है। इसलिए, किसान भाइयों को इन तीनों पोषक तत्वों का सही समय, सही डोज़ और फसल में इनके काम को समझना बहुत आवश्यक है, ताकि अच्छी उपज का लक्ष्य पूरा हो सके।
यूरिया (Urea) का सही डोज़ और कार्य
यूरिया गेहूं की फसल की ग्रोथ के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यह मुख्य रूप से पौधे की बढ़वार करने और उसे हरा-भरा (ग्रीनपन) बनाए रखने का काम करता है। यूरिया को दो बार इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। पहली खुराक बुवाई से ठीक पहले प्रति एकड़ एक बैग (कट्टा) की होनी चाहिए। यूरिया की दूसरी खुराक पहले पानी के साथ देनी चाहिए, जिसकी मात्रा भी प्रति एकड़ एक बैग ही होनी चाहिए। सही समय पर और निर्धारित मात्रा में यूरिया देने से ही पौधा अपनी शुरुआती ग्रोथ और ऊंचाई के लिए आवश्यक ताकत जुटा पाता है। हालांकि, यदि आप बताई गई मात्रा से ज्यादा डोज़ का उपयोग करते हैं, तो फसल जल सकती है, खासकर काली मिट्टी में यह खतरा ज्यादा होता है।
पोटाश (Potash) से बढ़ती है फुटान और दानों की चमक
पोटाश का उपयोग पौधे को निरोग, मजबूत और चमकदार बनाने के लिए किया जाता है। इसका सबसे खास काम पौधे में कल्ले (फुटान) की संख्या बढ़ाना है, जिससे फसल घनी होती है और बालियां ज्यादा आती हैं, परिणामस्वरूप पैदावार मजबूत बैठती है। यह दानों में भी चमक लाता है। पोटाश (MOP 60% वाला) की कुल मात्रा प्रति एकड़ 20 किलो तक हो सकती है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इसे दो हिस्सों में दें: 10 किलो बुवाई से पहले मिट्टी में मिला दें, और बाकी 10 किलो पहले पानी के साथ यूरिया में मिलाकर दें। यदि बुवाई के समय पोटाश डालना छूट गया हो, तो पहले पानी के साथ 20 किलो तक पोटाश दिया जा सकता है, लेकिन काली मिट्टी के लिए आधी मात्रा (10 किलो) ही पर्याप्त है।
जिंक (Zinc) की कमी से आता है पीलापन, ऐसे करें पहचान
यदि आपके खेत में जिंक की कमी है, तो आप कितना भी यूरिया डालें, पौधे की ग्रोथ नहीं होगी और वह पीला पड़कर पड़ा रहेगा। जिंक की कमी की पहचान यह है कि पौधे के ऊपर के नए पत्ते पीले पड़ने लगते हैं। जिंक इस पीलेपन को दूर करने और पौधे की सही वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है। जिंक को पहले पानी के साथ यूरिया में मिलाकर देना चाहिए। जिन किसानों की फसल में पीलापन नहीं है, वे 5 किलो प्रति एकड़ की डोज़ लगा सकते हैं। लेकिन, यदि ऊपरी पत्तों में पीलापन दिख रहा है, तो 10 किलो प्रति एकड़ तक जिंक का उपयोग किया जा सकता है, जिससे पौधे की ब्लूटपुर पर रहती है और सही ग्रोथ जारी रहती है।
समय का रखें खास ध्यान
यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि इन तीनों पोषक तत्वों (यूरिया, पोटाश और जिंक) को लगाने का सही समय केवल पौधे की शुरुआती वृद्धि तक ही होता है। किसान भाइयों को यह विशेष रूप से नोट करना चाहिए कि एक बार जब गेहूं में बालियां (earheads) निकलना शुरू हो जाती हैं, तो उसके बाद इन तत्वों का इस्तेमाल करना पूरी तरह से व्यर्थ हो जाता है। बालियां निकलने के बाद किया गया कोई भी छिड़काव या खाद डालना केवल पैसे और समय का नुकसान है, क्योंकि पौधे को इसका कोई लाभ नहीं मिलता। इसलिए, सही समय पर सही डोज़ का ज्ञान ही आपको बम्पर पैदावार दिला सकता है।